मंगलवार, 22 मई 2018

मैं अपना प्यार - 05



*Ab amante lacrimis redimas iracundiam (Latin): आँसू प्रेमी के क्रोध को शांत कर देते हैं। प्‍यूबिलियस साइरस (fl.1st Century BC)
पाँचवा दिन
जनवरी १४,१९८२

इस दुनिया में तुमसे ज्‍यादा मूल्‍यवान मेरे लिए कोई और चीज नहीं है। जब मैं इस कहावत को याद करता हूँ कि ‘‘दूर रहने से प्‍यार बढ़ता है,’’ तो मुझे कुछ आराम मिलता है। मगर जब मैं एक अन्‍य कहावत के बारे में सोचता हूँ, जो कि पहली वाली के एकदम विपरीत है, तो मैं अपने प्‍यार के बारे में परेशान हो जाता हूँ। क्‍या तुम्‍हें याद है? ‘‘नजरों से दूर, दिमाग से दूर’’। कैसा विरोधाभास है। हम ऐसी दुनिया में आजादी से रहते हैं जो बातों में विरोधभासों से परिपूर्ण है, स्‍वभाव से विसंगत है, कामों में दोगली है और रीति-रिवाजों में रूढ़िवादी है, मैं भी उन्‍हीं में से एक हूँ, है ना? चाहे मैं उन्‍हें मानूँ या न मानूँ, वे वैसे ही रहेंगे – भ्रमात्‍मक वास्‍तविकता। माफ करना, मैं जरा बहक गया।
खैर, अपनी आज की दिनचर्या की ओर आता हूँ। कल रात को मैं गहरी नींद सोया –छह घण्‍टे, बिना कोई सपना देखे, उठा तो ताजा-तवाना था, विश्‍वास से भरपूर। सुबह का ज्‍यादातर समय मैंने पढ़ने में, कपड़े धोने में और रेडियो सुनने में बिताया। जिन्‍दगी खुशनुमा ही लग रही थी, मगर भीतर कहीं, मेरा दिमाग अभी भी हताश, सताया हुआ और निराश है। इस खयाल को छिपाने की मैंने पूरी कोशिश की, जैसे वह था ही नहीं, इस बारे में और बात नहीं करेंगे।
एक बजे लाइब्रेरी गया, मैगज़ीन सेक्शन में दो घंटे बैठा। अन्‍दर बहुत अंधेरा था, क्‍योंकि करीब डेढ़ घंटे तक बिजली नहीं थी। बिजली तब आई जब मैं निकलने वाला था। मैं लाइब्रेरी से साढ़े चार बजे निकला। मुझे अचानक याद आया कि तुमने जो खत हेड को लिखा था वह अभी भी मेरी जेब में था। मैं सीधे उनके घर गया, मगर वे घर पर नहीं थे। उनकी बेटी ने मेरा स्‍वागत किया। पहले वह मेरे लिये पानी लाई, फिर एक कप चाय और नाश्‍ता।
हम यूँ ही आम बात चीत करते रहे। वातावरण बड़ा दोस्‍ताना और आराम देह था। जब तक उसके पिता आए वह मुझसे बातें करती रही। मैंने उठकर उनका अभिवादन किया और वे बैठ गए। मैंने खत उन्‍हें दे दिया, मगर उन्‍होंने फौरन उसे पढ़ा नहीं। बल्कि, मुझे ही उन्‍हें बताना पड़ा कि वह किस बारे में है। उन्‍होंने मुझसे पूछा कि क्‍या तुमने अपनी थाईलैण्‍ड यात्रा के बारे में अपने गाइड को सूचित किया है। मैंने तुम्‍हारी ओर से कहा कि तुमने ऐसा ही किया है। वे सन्‍तुष्‍ट प्रतीत हुए और बोले कि ये तुमने बड़ा अच्‍छा किया। उनकी राय में कोई समस्‍या थी ही नहीं।
वे कुछ थके लग रहे थे इसलिये मैंने उनसे बिदा ली और वापस आने लगा। थका हुआ और अकेला महसूस कता हुआ मैं अचानक चुएन के होस्‍टल गया और ढूँढ़ने लगा। मैं पूरे जोर से चिल्‍ला रहा था, उसे पुकार रहा था। मगर अफसोस, वह वहाँ था ही नहीं। निराश होकर अपने एकान्‍त का मज़ा लेने के लिये मैंने वापस होस्‍टेल लौटने का विचार किया। रास्‍ते में मुझे आराम, बून्‍मी, पर्न और स्‍मोर्न मिले। वे मुझे घसीट कर जुबिली एक्स्टेंशन ले गये। हम पन्‍द्रह मिनट कैरम खेले, फिर किम और निरोडा (बून्‍मी के सपनों की रानी) से मिलें। वे एक बेल्जियम लड़के के साथ खड़ी थीं, जिसे मैं थोड़ा-बहुत जानता हूँ। वे डिनर के लिये कहीं जा रहे थे, मैंने पूछा नहीं कहाँ? अपनी प्रेमिका को किसी और का हाथ पकड़े देखकर बून्‍मी बहुत दुखी हो गया। यह भी एक-तरफा प्‍यार का एक उदाहरण था, आपराधिक प्‍यार का शिकार। वह काफी परेशान और असहज लग रहा था। मैंने उससे कहा कि जितना दुख तुम स्‍वयँ अपने आपको देते हो, उतना कोई और नहीं देता, मगर वह मेरी बात नहीं समझा और एक भी शब्‍द कहे बिना चला गया।
हम उसकी भावनाओं को समझ रहे थे और हमेशा उसके निर्णय का आदर करते थे। इस पीड़ादायक प्‍यार से उसे कौन बाहर निकालेगा? मुझे ताज्‍जुब है। किस ने मुझसे हैलो कहा, मगर वह महज औपचारिकता थी। उसकी जिन्‍दगी सभी प्रतिबंधो से मुक्‍त है। मेरी नजर में, यह एक आज़ाद पंछी की जिन्‍दगी है जो निरूद्देश्‍य ही इस असीम आकाश में उड़ता है। मुझे पता नहीं कि उसकी आखिरी मंजिल क्‍या होगी।
यह मेरा मामला नहीं है ऐसा सोचकर मैं उसके लफडों के बारे में कुछ नहीं कहूँगा। अपने कमरे में मैं शाम को साढ़े सात बजे आया। मैं अपने बिस्‍तर पर बैठा, उनींदी चेतना, थकी हुई रूह, विचारमग्‍न दिमाग को रेडियो के गीतों से जगाने की कोशिश करते हुए। डिनर के बाद मेरठ से एक भिक्षु दोस्‍त मुझे आशिर्वाद देने आया। वह एक हँसमुख, चंचल, मजाकिया किस्‍म का है। मुझे और लगभग सभी को वह अच्‍छा लगता है।
वह मज़ाक करता है, हमारे लिये अपने आपको हँसी और खुशी का स्‍त्रोत बनाता है। मैं उसकी सच्‍चाई और दोस्‍ताना स्‍वभाव की कदर करता हूँ। इसी ने मेरी घड़ी दुरूस्‍त करवाई थी, मुझसे पैसे भी नहीं लिए। मैं उसका शुक्रगुजा़र हूँ। धन्‍यवाद, मेरे पवित्र भिक्षु। अपने पीछे मेरे कमरे में वह अपने अस्तित्‍व की और परफ्युम की सुगन्‍ध छोड़ गया। यह था उसकी भेंट का अन्‍त और, यही है आज की डायरी का अन्‍त!
मेरा दिल हमेशा तुम्‍हारे प्रति वफादार रहेगा।







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