रविवार, 27 मई 2018

मैं अपना प्यार - 30




*Et taedat Veneris statim peractae (Latin): लैंगिक संबंधो का आन्‍नद अल्‍प है, बाद में आती है थकान और   – पेट्रोनियस आर्बिटर D.A.D 65
तीसवाँ दिन
फरवरी ९,१९८२

आज मेरी जिन्‍दगी का सबसे दुःखद दिन है, क्‍योंकि आज मुझे घर से पत्र मिला है कि मेरी दादी-माँ की मृत्‍यु हो गई है और उनका अंतिम संस्‍कार कर दिया गया है। इस दुख को बढा़ने वाली यह खबर और भी है कि मेरे मृत पिता अब तक अपने मकबरे में मेरा इंतजार कर रहे हैं, जिससे उनका अंतिम संस्‍कार कर दिया जाए। मेरे रिश्‍तेदार चाहते थे कि मैं घर वापस जाऊँ, वर्ना मेरे पिता के मृत शरीर को दफना देंगे। मुझ पर यह दोष लगाया जा रहा है कि मैंने पिता के प्रति अपने ऋण को नहीं चुकाया। हर कोई, मेरी प्‍यारी माँ को छोड़कर, मुझे कुल-कलंक कह रहा है, जो एक डूबती हुई नाव को छोड़कर भाग गया है। मैं इनकार नहीं करता क्‍योंकि मैं उनसे बहुत दूर रहता हूँ, और वे मेरी परिस्थिति को और मुझे समझ नहीं पायेंगे। अगर मुझे कोई बहाना बनाना होता, मैं कोई ‘‘सस्‍ता-सा बहाना’’ नहीं बनाऊँगा। बहाने बनाने से यहाँ कोई फायदा नहीं होगा। चाहे कुछ भी हो जाए मैं वही रहूँगा। जो मैं हूँ।
‘‘मेरे पिता, मैं घुटने टेक कर तुम्‍हारे सामने बैठा हूँ, कृपया उन्‍हें मेरी परिस्थिति समझने दो। मैं तुम्‍हें नहीं भूला हूँ। तुम तो हमेशा मेरी आत्‍मा में और मेरे खून में हो। मैं जल्‍द ही तुम्‍हारे पास आऊँगा। मेरा इंतजार करना, प्‍लीज’’
मेरी प्‍यारी, आज मैं और ज्‍यादा नहीं लिख सकता। मैं दादी माँ की मृत्‍यु पर हार्दिक शोक प्रकट करना चाहता हूँ, जो मेरे लिये वापस न लौटने वाली नदी बन गई है। दादी माँ, तुम्‍हारा शरीर गल गया होगा, मगर तुम्‍हारी अच्‍छाईयाँ हमेशा याद की जाएँगी और वे हमेशा शाश्‍वत रहेंगी। ईश्‍वर तुम्‍हें शांति दे। मैं तुम्‍हें हमेशा याद रखूँगा।











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