सोमवार, 21 मई 2018

मैं अपना प्यार.... कवर




अपना प्यार
मैं दिल्ली में छोड़ आया

एक थाई नौजवान की ३० दिन की डायरी जो विदेश में बुरी तरह प्‍यार में पागल था







लेखक

धीराविट पी० नात्थागार्न

हिन्‍दी अनुवाद
ए० चारूमति रामदास




अपना प्‍यार मैं दिल्‍ली में छोड़ आया

लेखकः धीराविट पी० नात्‍थागार्न

अनुवादः ए० चारूमति रामदास


सर्वाधिकार सुरक्षित। इस पुस्‍तक का कोई भी भाग किसी भी रूप में प्रकाशक की अनुमति के बिना पुनर्निर्मित, संकलित अथवा प्रेषित न किया जाये।
टिप्‍पणीः- मैं अपने सर्वोत्‍तम अमेरिकन मित्र कलिफ स्‍लोन को धन्‍यवाद देता हुँ जिन्होंने अंग्रेज़ी में लिखी मूल पांडुलिपि को सुधारने में सहायता की।
मैं प्रीतम कुमार का आभारी हूँ जिन्होंने हिन्दी अनुवाद का बड़ी योग्यता से कम्प्यूटरीकरण किया।
इस डायरी में लिखे सभी नाम और उपनाम वास्‍तविक हैं, परन्‍तु उनके नामों, उपनामों, सम्‍मानवाचक शब्‍दों, को हटा दिया गया है जिससे वे आम हो जाएँ।
मैं उन सभी का क्षमाप्रार्थी हूँ जिनके नाम इस डायरी में प्रयुक्‍त हुए हैं; मैं सिर्फ घटनाओं और स्‍थलों को ताजा और सजीव रखना चाहता हूँ और मैं इस पेपरबैक को समर्पित करता हूँ दिल्‍ली के अपने सभी मित्रों और शिक्षकों कों।







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